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कंकाल-अध्याय -४७

श्रीचन्द्र ने कहा, 'चन्दा, तुमको भूल न जाना चाहिए कि संसार में पाप से उतना डर नहीं जितना जनरव से! इसलिए तुम चलो, मैं ही तुम्हारे बँगले पर आकर चाय पीऊँगा। अब इस बँगले से मुझे प्रेम नहीं रहा, क्योंकि इसका दूसरे के हाथ में जाना निश्चित है।' चन्दा एक बार घूमकर खड़ी हो गयी। उसने कहा, 'ऐसा कदापि नहीं होगा। अभी मेरे पास एक लाख रुपया है। मैं कम सूद पर तुम्हारी सब सम्पत्ति अपने यहाँ रख लूँगी। बोलो, फिर तो तुमको किसी दूसरे की बात न सुननी होगी।' फिर हँसते हुए उसने कहा, 'और मेरा तगादा तो इस जन्म में छूटने का नहीं।' श्रीचन्द्र की धड़कन बढ़ गयी। उसने बड़ी प्रसन्नता से चन्दा के कई चुम्बन लिये और कहा, 'मेरी सम्पत्ति ही नहीं, मुझे भी बन्धक रख लो प्यारी चन्दा! पर अपनी बदनामी बचाओ, लाली भी हम लोगों का रहस्य न जाने तो अच्छा है, क्योंकि हम लोग चाहे जैसे भी हों, पर सन्तानें तो हम लोगों की बुराइयों से अनभिज्ञ रहें। अन्यथा उसके मन में बुराइयों के प्रति अवहेलना की धारणा बन जाती है। और वे उन अपराधों को फिर अपराध नहीं समझते, जिन्हें वे जानते हैं कि हमारे बड़े लोगों ने भी किया है।' 'लाली के जगने का तो अब समय हो रहा है। अच्छा, वहीं चाय पीजियेगा और सब प्रबन्ध भी आज ही ठीक हो जायेगा।' गाड़ी प्रस्तुत थी, चन्दा जाकर बैठ गयी। श्रीचन्द्र ने एक दीर्घ निःश्वास लेकर अपने हृदय को सब तरह के बोझों से हल्का किया। (2) किशोरी और निरंजन काशी लौट आये; परन्तु उन दोनों के हृदय में शान्ति न थी, क्रोध में किशोरी ने विजय का तिरस्कार किया, फिर भी सहज मातृस्नेह विद्रोह करने लगा, निरंजन से दिन में एकाध बार इस विषय को लेकर दो-दो चोंच हो जाना अनिवार्य हो गया। निरंजन ने एक दिन दृढ़ होकर इसका निपटारा कर लेने का विचार कर लिया; वह अपना सामान बँधवाने लगा। किशोरी ने यह ढंग देखा। वह जल-भुन गयी। जिसके लिए उसने पुत्र को छोड़ दिया, वह भी आज जाने को प्रस्तुत है! उसने तीव्र स्वर में कहा, 'क्या अभी जाना चाहते हो?' 'हाँ, मैंने जब संसार छोड़ दिया है, तब किसी की बात क्यों सहूँ?' 'क्यों झूठ बोलते हो, तुमने कब कोई वस्तु छोड़ी थी। तुम्हारे त्याग से तो भोले-भाले, माया में फँसे हुए गृहस्थ कहीं ऊँचे हैं! अपनी ओर देखो, हृदय पर हाथ रखकर पूछो, निरंजन, मेरे सामने तुम यह कह सकते हो संसार आज तुमको और मुझको क्या समझता है-इसका भी समाचार जानते हो?' 'जानता हूँ किशोरी! माया के साधारण झटके

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